आयुर्वेद पर्व-2024

अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन और पंजाब प्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन द्वारा आयोजित 3 दिवसीय आयुर्वेद पर्व का उद्घाटन पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह जी के कर कमलों द्वारा हुआ। इस महोत्सव में RCFC NR-1, NMPB की ओर से एक स्टॉल स्थापित किया गया, जहाँ हमने विभिन्न औषधीय पौधे जैसे ब्रह्मी, सतावर, अशोक, अर्जुन और हरड़ का वितरण किया। हमारे स्टॉल पर NMPB की प्रचार सामग्री और जड़ी-बूटी बाजार के ब्रोशर भी वितरित किए गए। साथ ही, कच्चे औषधियों के नमूनों का प्रदर्शन किया गया। आयुर्वेद प्रेमियों ने हमारे स्टॉल पर आकर पौधे प्राप्त किए और इस महोत्सव का आनंद लिया। #आयुर्वेद #स्वास्थ्य #NMPB #औषधीयपौधे #पंजाब

"ऊच हिमालय के औषधीय पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन और विपणन"

उदयपुर, लाहौल स्पीति में "ऊच हिमालय के औषधीय पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन और विपणन" विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत-1 और भारतीय चिकित्सा पद्धति अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। यह कार्यक्रम लाहौल स्पीति के उदयपुर में आयोजित हुआ, जिसमें स्थानीय किसानों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन उप मंडल अधिकारी उदयपुर, लाहौल & स्पीति श्री॰ केशव राम जी ने किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा, "औषधीय पौधों की खेती एक उत्कृष्ट आय का विकल्प है, जिसे आने वाले वर्षों में प्रदेश, देश और विश्व स्तर पर अपनाया जाना चाहिए।" उन्होंने लाहौल स्पीति को औषधीय पौधों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक मानचित्र पर "छर्मा" जैसे औषधीय पौधों के रूप में विकसित हो सके।

इस कार्यक्रम में डॉ. अरुण चंदन, क्षेत्रीय निदेशक, आर॰सी॰ऍफ॰सी॰ एन॰आर॰-1 ने औषधीय पौधों के संग्रहण, खेती और विपणन की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. अरुण चंदन ने किसानों की जागरूकता की कमी, अस्थायी संग्रहण की समस्याएं और विपणन में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने संकटग्रस्त औषधीय पौधों की चर्चा करते हुए उनके भविष्य में संवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन, सी॰एस॰आई॰आर॰-आई॰एच॰बी॰टी॰ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक सिंह ने उच्च तंगता क्षेत्रों में औषधीय पौधों की विविधता, सर्वेक्षण और प्रबंधन के विषय में चर्चा की। उन्होंने लाहौल स्पीति में उगने वाली औषधीय पौधों की विशेषताओं और उनके आर्थिक योगदान के बारे में जानकारी दी। डॉ. अशोक सिंह ने कहा कि ये पौधे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके संरक्षण से पर्यावरण संतुलन भी बनाए रखा जा सकता है।

समारोह में जिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती वीणा देवी ने भी भाग लिया। उन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्य की सराहना की और आर॰सी॰ऍफ॰सी॰ एन॰आर॰-1 एवं आर॰आई॰आई॰एस॰ऍम॰, जोगिंदर नगर की टीम के प्रयासों को सराहा। उन्होंने किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिल सके।

कार्यक्रम का समापन जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. वनीता शर्मा की अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने कहा कि आयुष विभाग औषधीय पौधों के संरक्षण और संवर्धन में गंभीरता से सक्रिय है और स्थानीय किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तत्पर है। उन्होंने राज्य औषध पादप बोर्ड और स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बैठाकर बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज पर कार्य करने की बात कही।

इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 98 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 75 महिलाएं और 23 पुरुष किसान शामिल थे। कार्यशाला के अंत में एक संयुक्त कार्य योजना बनाई गई, जिससे लाहौल स्पीति जिले में औषधीय पौधों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य को आगे बढ़ाया जा सके।

नौवा आयुर्वेद दिवस

🌿 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर, हमने “एक पेड़ मां के नाम अभियान” के तहत भराड़ू, पेटू, भड़ियारा और मकरीड़ी गांव में पौधे वितरित किए। इस अभियान के तहत, प्रत्येक गांव में लगभग 18 पौधे बांटे गए, जिनमें हरड़, अर्जुन, जामुन, बहेड़ा, मिरिंगा और आमला शामिल हैं। ये पौधे न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करेंगे। आइए, हम अपने पर्यावरण की देखभाल करें और आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाते रहें। सभी सहभागियों का धन्यवाद!

 

उच्च तंगता के क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन एवं विपणन

उच्च तंगता के क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन एवं विपणन पर कार्यक्रम आयोजित

RCFC NR-1 द्वारा हिमाचल प्रदेश के पांगी क्षेत्र में उच्च तंगता वाले इलाकों में औषधीय पौधों की खेती, मूल्य संवर्धन और विपणन पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और स्थानीय समुदायों को औषधीय पौधों की खेती में नए अवसरों से अवगत कराना और उन्हें मूल्य संवर्धन तथा विपणन के आधुनिक तरीकों से जोड़ना था।

कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा उच्च तंगता वाले क्षेत्रों में औषधीय पौधों की उपयुक्तता, खेती की तकनीकें, पौधों के वाणिज्यिक उपयोग और उनके बाज़ार में संभावनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई। साथ ही, किसानों को स्व-रोजगार और आय वृद्धि के लिए औषधीय पौधों के माध्यम से व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने के बारे में बताया गया।

इस पहल से न केवल स्थानीय लोगों को पर्यावरणीय रूप से सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया, बल्कि औषधीय पौधों के उत्पादन से रोजगार और आर्थिक समृद्धि के नए रास्ते भी खोले गए। कार्यक्रम में स्थानीय किसानों, महिलाओं और युवाओं ने सक्रिय भागीदारी की और नए ज्ञान को आत्मसात किया।

मुख्य विषय:

– उच्च तंगता क्षेत्रों में औषधीय पौधों की उपयुक्तता और खेती

– मूल्य संवर्धन के तरीके और रणनीतियाँ

– औषधीय पौधों के विपणन की नई दिशा

– स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और स्व-रोजगार के अवसर

यह कार्यक्रम स्थानीय किसानों को औषधीय पौधों की खेती में नए अवसरों के बारे में जागरूक करने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक कदम आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।  

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Regional Stakeholders Consultation on Quality Planting Material/Nurseries of Medicinal Plants

औषधीय पौधों के गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री/नर्सरी पर क्षेत्रीय हितधारक परामर्श  

RCFC NR-1 द्वारा NITTTR, चंडीगढ़ में आयोजित  

RCFC ने एनआईटीटीटीआर, चंडीगढ़ में *औषधीय पौधों के गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री/नर्सरी पर क्षेत्रीय हितधारक परामर्श* का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कृषि, बागवानी और औषधीय पौधों के क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया और औषधीय पौधों के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और नर्सरी के विकास पर चर्चा की।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई:

– प्रसार की सर्वोत्तम विधियाँ: औषधीय पौधों के उच्च गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए तकनीक और पद्धतियाँ।

– प्रमाणन और मानक: औषधीय पौधों की नर्सरी के लिए प्रमाणन मानकों की आवश्यकता और विकास पर विचार।

  • सतत नर्सरी मॉडल: ऐसे सफल मॉडल साझा किए गए जो न केवल औषधीय पौधों के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उत्पादन करते हैं, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देते हैं।

– बाजार संबंध और मूल्य संवर्धन: औषधीय पौधों के लिए बाजार के अवसरों की पहचान और मूल्य संवर्धन के लिए रणनीतियाँ।

इस परामर्श का उद्देश्य किसानों, नर्सरी संचालकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्धारकों को एक मंच पर लाकर औषधीय पौधों के रोपण सामग्री के उत्पादन, गुणवत्ता और विपणन में सहयोग और समाधान तलाशना था। 

कार्यक्रम के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया:

– क्षमता निर्माण: स्थानीय किसानों और नर्सरी संचालकों को गुणवत्तापूर्ण पौधों के उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करना।

– नीति समर्थन: औषधीय पौधों की गुणवत्ता के उत्पादन और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नीति सुझाव।

– सार्वजनिक-निजी साझेदारी: औषधीय पौधों के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग के अवसरों की पहचान।

कार्यक्रम का समापन इस विश्वास के साथ हुआ कि गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और नर्सरी का विकास न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को भी पूरा करेगा।

मुख्य बिंदु:

– औषधीय पौधों के उत्पादन और प्रसार में सर्वोत्तम पद्धतियाँ।

– नर्सरी क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ और उनके समाधान।

– प्रमाणन मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र पर विशेषज्ञों की सिफारिशें।

– हितधारकों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग के अवसर।

यह पहल औषधीय पौधों की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देते हुए पर्यावरणीय संरक्षण में भी मदद करेगी।

आगे का रास्ता:  

RCFC NR-1 का उद्देश्य औषधीय पौधों के नर्सरी और रोपण सामग्री के उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों और समुदायों के लिए बेहतर अवसर पैदा करना है। 

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